May 3, 2024

Image Credit: Ashwathama Kaun The

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Ashwathama Kaun The 

अश्वत्धामा कौन थे आज भी काफी सारे लोगो की इसके बारे में जानने की दिलचस्पी होती है।  आज बहुत से गांव और देश के अलग अलग राज्य में इस प्रकार की खबर सुनने को मिलती है किसी आम आदमी को लाख तपस्या के बाद अश्वत्धामा के दर्शन हुए है।  

 

अगर आप जानना चाहते है की अश्वत्धामा कौन थे तो आप सही जगह पर आये है।  अश्वत्धामा महाभारत काल के अर्थात द्वापरयुग में जन्मे थे।  उस युग के श्रेष्ठ योद्धाओं में अश्वत्धामा को गिना जाता था। गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र होने के साथ साथ अश्वत्धामा राजगुरु कृपाचार्य के भांजे भी थे। 

 

द्रोणाचार्य ने ही कौरवो और पांडवो को शास्त्र विध्या में पारंगत किया था।  महाभारत युद्ध के दौरान गुरु द्रोणाचार्य ने हस्तिनापुर राज्य के प्रति निष्ठा होने के कारण कौरवो का साथ देना उचित समझा था।  अश्वत्धामा भी अपने पिता की तरह ही अस्त्र शस्त्र विध्या में निपूर्ण थे।  

 

पिता पुत्र की जोड़ी ने महाभारत युद्ध के दौरान पांडवो की सेना को पराजित कर दिया था।  एक समय ये भी सामने आया था की युद्धभूमि के दौरान ये बात फैला दी गयी थी की अश्वत्धामा मारा गया है। जब सच्चाई जानने की कोशिश की गयी तो पता चला की अश्वत्धामा मारा गया लेकिन यह नहीं पता की वे नर थे या फिर हाथी।  

 

ये भी बताया गया था की अश्वत्धामा के पिता के निधन के बाद अश्वत्धामा विचलित हो गए थे। ऐसा माना जाता है की आज भी अश्वत्धामा को असीरगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश की ही जबलपुर शहर के नर्मदा नदी के किनारे भटकते हुए देखा जाता है।  स्थानीय निवासिओं का ये भी कहना है की कभी कबार अपने मस्तक के घाव को भरने के लिए अश्वत्धामा हल्दी और तेल की मांग करते है।  

 

अगर हम अश्वत्धामा के बारे में बात करे तो अश्वत्धामा की कहानी महाभारत से जुडी हुई है।  अश्वत्धामा एक महान योद्धा थे और गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे।  ऐसा माना जाता है की अश्वत्धामा सात चिरंजीवी में से एक थे।  ऐसा माना जाता है की भगवान शिव ने अश्वत्धामा को अमर होने का वचन दिया था।  

 

लेकिन आपको बताना चाहते है की अमर होने का वचन लंबे समय तक नहीं टिक पता है। अश्वत्धामा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था जब महाभारत युद्ध के दौरान श्री कृष्णा ने उन्हें श्राप दिया था की तुम अमर रहोगे लेकिन जीवन भर कष्ट में जीते रहोगे।  

 

अश्वत्धामा को बचपन से ही अमर होने का वरदान दिया गया था साथ ही साथ इन्हे रतन से भी नवाजा गया था की जोकि आज भी इनके माथे पर है।  आज भी काफी सारे लोग ऐसे भी है जोकि अश्वत्धामा को देखने का सपना रखते है लेकिन अध्भुत शक्ति होने की वजह से कोई भी अश्वत्धामा को आसानी से देख नहीं सकता है।  

 

आज भी देश के कुछ राज्य ऐसे भी है जहा पर आज भी अश्वत्धामा सुबह भोर में भगवान शिव के ऊपर फूल चढ़ाकर और उनकी पूजा करते है।  देर रात तक बहुत से लोगो ने अश्वत्धामा के दर्शन करने का प्रयास किया लेकिन आज भी कुछ लोग उन्हें देख ही नहीं पाते है या फिर उनकी आँखों के सामने कुछ समय के लिए तेज रौशनी आ जाती है जिसकी वजह से वे कुछ देख ही नहीं पाते है। 

 

Conclusion 

 

आज की जानकारी में आपको बताया गया है की अश्वत्धामा कौन थे और किसके पुत्र थे और उनके जीवन शैली के बारे में आज आपको बताया गया है।

 

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