दोस्तों आज हम आपको बताने वाले हैं की प्रदूषण क्या होता है. कितने प्रकार के होते हैं, इसके क्या क्या नुकसान होते हैं. इसके अलावा प्रदूषण पर नियंत्रण किस प्रकार किया जा सकता है.
आखिरकार प्रदुषण है क्या
कुछ ऐसे अनचाहे परिवर्तन जो कि जीवन समुदाय के लिए किसी ना किसी प्रकार से हानिकारक होते हैं. उसे हम आम भाषा में प्रदूषण कहते हैं. सभी जीव एक अच्छा जीवन पाने के लिए संतुलित पर्यावरण पर निर्भर रहते हैं.
प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं
वैसे तो कई प्रकार के प्रदूषण होते हैं लेकिन मुख्य रूप से पांच प्रकार के प्रदूषण देखने को मिलते हैं। इनमें पहला होता है जल प्रदूषण, दूसरा होता है हवा प्रदूषण, तीसरा होता है ध्वनि प्रदूषण, चौथा होता है मृदा प्रदूषण, और पांचवा होता है नाभिकीय प्रदूषण.
जल प्रदूषण
जब कोई बाहर पदार्थ हमारे जल में मिलकर मानव जीवन को नुकसान पहुंचाता है। इसे हम आम भाषा में जल प्रदूषण कहते हैं. अगर हम जल में गंदगी और फैक्ट्री का केमिकल ना फैके तो ऐसे में जल प्रदूषण को रोका जा सकता है. जल प्रदूषण होने से हमें पीलिया पोलियो और वायरल फीवर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती हैं. प्रदूषण जल पीने से पशु पक्षी भी बीमार पड़ जाते हैं.
वायु प्रदूषण
जब प्रदूषण वायुमंडल में उपस्थित होता है, और ऐसे में अनचाहा परिवर्तन आने लगता है. इसी गतिविधि को वायु प्रदूषण के नाम से जाना जाता है.
कौन-कौन से वायु प्रदूषण होते हैं
इनमें सबसे पहला नाम आता है कार्बन डाइऑक्साइड का, दूसरा नाम आता है कार्बन मोनोऑक्साइड का, तीसरा नाम आता है सल्फर डाइऑक्साइड का, चौथा नाम आता है नाइट्रोजन के ऑक्साइड का, पांचवा नाम आता है क्लोरिन का, छटा नाम आता है सीसा का, सातवा नाम आता है अमोनिया का. इसके अलावा और भी काफी ज्यादा खतरनाक वायु प्रदूषण होते हैं.
वायु प्रदूषण के कारण क्या होते हैं
वाहनों में जीवाश्म ईंधन का दहन।
जीवाणु नाशक दवा का उपयोग.
कूड़े कचरे का सड़ना
वायु प्रदूषण होने से क्या नुकसान होता है
वायु प्रदूषण होने से हमें सर में दर्द, फेफड़ों में कैंसर, आंखों में जलन, गले में दर्द, उल्टी और जुकाम जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है. अगर हम ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएंगे तो वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है. कोयला और पेट्रोल का कम इस्तेमाल करके भी वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है. अगर हम पुराने वाहनों पर रोक लगाते हैं तो, ऐसा करने से भी वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
ध्वनि प्रदूषण
ऐसी ध्वनि जो कि हमारे पर्यावरण में फैलने से जंतुओं को नुकसान पहुंचाती हैं. इसे ध्वनि प्रदूषण कहां जाता है. आखिरकार ध्वनि प्रदूषण किस से होता है जान लेते हैं। लाउड स्पीकर और म्यूजिक सिस्टम से ध्वनि प्रदूषण हो सकता है। कारखानों में मशीनों की आवाज होने से ध्वनि प्रदूषण हो सकता है. आतिशबाजी होने से ध्वनि प्रदूषण हो सकता है.
मोटर वाहनों की आवाज से ध्वनि प्रदूषण हो सकता है. कई बार ध्वनि प्रदूषण की वजह से हमारे सुनने की शक्ति कम हो जाती हैं. वही कुछ लोग मेंटल डिसऑर्डर के शिकार भी हो जाते हैं.
ध्वनि प्रदूषण की वजह से हमें भूख कम लगने लगती हैं. इसके अलावा स्वभाव मे चिड़चिड़ापन देखने को मिलता है. ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए.
इसके अलावा कम आवाज करने वाले पटाखों का इस्तेमाल करना चाहिए. शहर में कम रैली निकालनी चाहिए. ऐसी गाड़ियां बनानी चाहिए जो कि कम आवाज करती हो. सरकारी गाड़ियों में हूटर का इस्तेमाल कम करना चाहिए.
मृदा प्रदूषण
कीटनाशकों का अधिक प्रयोग करने से मृदा प्रदूषण हो सकता है. प्लास्टिक की थैलियों का अधिक इस्तेमाल करने से भी मृदा प्रदूषण हो सकता है. मृदा प्रदूषण होने की वजह से जल और वायु प्रदूषण भी बढ़ जाता है.मृदा प्रदूषण होने की वजह से जोड़ों में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो सकती हैं.
नाभिकीय प्रदूषण
बताना चाहते हैं कि इसे रेडियोधर्मी प्रदूषण के नाम से भी जाना जाता है . चिकित्सा के समय इस्तेमाल होने वाले किरणों से भी प्रदूषण हो सकता है. सूर्य की पराबैंगनी किरणों से भी प्रदूषण हो सकता है.
अभी किया प्रदूषण होने की वजह से पौधे जीव और जंतु पर गहरा प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा मानव शरीर में गूंगा बहरा और लकवे जैसी बीमारी जन्म लेने लगती हैं. हड्डियों पर भी असर पड़ सकता है.