April 18, 2024

 Qutub Minar

देश की राजधानी दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित कुतुबमीनार आज दिल्ली की शान है। कुतुबमीनार को यूनेस्को द्वारा “वर्ल्ड हेरिटेज साइट” का भी दर्जा मिल चुका है। क़ुतुबमीनार का निर्माण लाल और हल्के पीले रंग के बलुआ पत्थर से हुआ है। दिल्ली के इतिहास में कुतुब मीनार का नाम जितना पुराना है, कुतुब मीनार का इतिहास (History of Qutub Minar) भी बहुत ही है प्राचीन है, जिससे कई रोचक तथ्य जुड़े हुए हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको कुतुब मीनार का इतिहास से जुड़े कई ऐसे जानकारी देने वाले हैं, जिसके बारे में काफी कम लोग जानते हैं। 

 


कुतुबमीनार का निर्माण कब हुआ था?

History of Qutub Minar के अंतर्गत आने वाली जानकारियों के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है Qutub Minar kab banaa tha, तो आपको बता दें कि कुतुब मीनार का निर्माण (construction of Qutub Minar) दिल्ली के पहले मुस्लिम बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक (Qutubuddin Aibak) ने 1199 ईसवी में शुरू कराया था। ऐबक ने कुतुब मीनार के ग्राउंड और पहले फ्लोर का ही निर्माण कराया था। बाद में उनके दामाद और उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसमें तीन और मंजिलें बनवाईं। 1206 में गोरी की मौत के बाद ऐबक आज़ाद शासक बन गया और उसने दिल्ली सल्तनत (Delhi Sultanate) की स्थापना की। 1508 ईस्वी में एक भयंकर भूकंप आया, जिसकी वजह से कुतुबमीनार क्षतिग्रस्त हो गई। 


कुतुबमीनार का निर्माण किसने करवाया?

अब तक तो आपने कुतुब मीनार के निर्माण संबंधित समय के बारे में जानकारी प्राप्त की लेकिन आगे एक और प्रश्न इसके साथ जुड़ जाता है जो है Qutub Minar kisne banvaya tha तो बता दें कि अफ़गानिस्तान में स्थापित, जाम की मीनार से प्रेरित एवं उससे आगे निकलने की मंशा से, दिल्ली के पहला मुस्लिम शासक क़ुतुबुद्दीन ऐबक, ने सन 1193 में शुरुवात करवाया, लेकिन केवल इसका आधार ही बनवा पाया। उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश (Iltutmish) ने इसमें तीन मंजिलों को बढ़ाया और सन 1368 में फीरोजशाह तुगलक ने पाँचवीं और अंतिम मंजिल बनवाई।इसके अंदर रोशनी का भी कोई बाहरी स्रोत नहीं था, सिर्फ बिजली के बल्ब लगाए गए थे।

कुतुबमीनार के अंदर क्या है?

जैसा की कुतुब मीनार बहुत लंबे समय से दिल्ली में स्थित है, लोगों के मन में इससे जुड़े कई ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब आज काफी कम लोगों को जानते हैं। लोग कुतुब मीनार देखने और घूमने तो जाते हैं लेकिन अक्सर यह जान नहीं पाते कि कुतुब मीनार के अंदर क्या है और इसका इतिहास क्या है।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कुतुब मीनार यह मीनार रेड स्टोन और मार्बल से बनी हुई है। बात करें Qutub Minar height की तो बता दें कि कुतुब मीनार 72.5 मीटर ऊँची है, जिसका व्यास 14.32 मीटर तल से और 2.75 मीटर चोटी से है। मीनार के अंदर गोल सीढ़ियाँ बनाई गयी है, तल से लेकर ऊँचाई तक कुल 379 सीढ़ियाँ है।   यह मीनार सीधी ड़ी न होकर बल्कि थोड़ी सी झुकी हुई है। मीनार में कई अरबी और नागरी लिपि में शिलालेख हैं, जो इसके इतिहास को बयां करते हैं। कुतुबमीनार के परिसर में ही एक लोहे का खंभा है, जिसमें अब तक 2000 सालों बाद भी जंग नहीं लगा है।


कुतुबमीनार किसकी याद में बनवाई गई?

कुतुब मीनार कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में बनवाया गया था। काकी चिस्ती संप्रदाय के संत थे। कुतुब मीनार का निर्माण कार्य इल्तुतमिश ने पूरा किया था और ये भी विख्यात है किगुलाम वंश के शासकों की याद में। कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा निर्माण सुरु किया गया एवम् इल्तुतमिश द्वारा अंतिम निर्माण किया गया। इमारत का नाम ख्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया था. ऐसा माना जाता है कि कुतुब मीनार का प्रयोग उसके पास बनी मस्जिद की मीनार के रुप में होता था और यहां से अजान दी जाती थी।यह बहुत खूबसूरत मीनार है जिसे देखने के लिए पर्यटक बहुत दूर-दूर से आते हैं।

कुतुब मीनार की खासियत क्या है?

आपको बता दें, जमीन पर इस इमारत का व्यास 14.32 मीटर है, जो शिखर तक जाने तक 2.75 मीटर रह जाता है। इस इमारत की स्थापत्य कला देखने में बेहद खूबसूरत लगती है। ये ऐतिहासिक इमारत इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर का बेहतरीन नमूना है। कुतुब मीनार दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है, जिसका निर्माण 12वीं शताब्‍दी में किया गया था। 


कुतुब मीनार निर्माण का इतिहास क्या है?

कुतुब मीनार का निर्माण किसी एक व्यक्ति द्वारा एक ही समय में पूरा नहीं हुआ बल्कि इससे कई व्यक्तियों ने अलग-अलग समय में बनाया। Qutub Minar ka itihaas kya hai के बारे में जानने के लिए सबसे पहले आपको बता दें कि Qutub Minar ka itihaas कहता है कि कुतुब मीनार 12वीं सदी के अंत और तेरहवीं सदी की शुरुआत में वजूद में आया था। माना जाता है कि कुतुब मीनार का निर्माण 1199 मे करवाया गया। कुतुब मीनार को बनाने की प्रारंभ कुतुबुद्दीन-ऐबक ने की थी और उसके बाद उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसका निर्मण पूरा करवाया था। कुतुबुद्दीन ऐबक, मोहम्मद गोरी का पसंदीदा दास और सेनापति था। गोरी ऐबक को दिल्ली और अजमेर का शासन का जिम्मेदारी सौंपकर वापस लौट गया था।

कुतुब मीनार में कौन-कौन से देवी देवताओं की मूर्ति मिली है?

जैसा कि हम सभी जानते हैं कुतुब मीनार का इतिहास बहुत ही पुराना है और ऐसे में विभिन्न प्रकार के वस्तुओं का यहां पाया जाना स्वाभाविक है। यदि आप नहीं जानते हैं कि कुतुबमीनार में कौन-कौन सी वस्तुएं पाई गई एवं देवी देवताओं की मूर्ति मिली है तो आपको बता दें कि कुछ इतिहासकारों का कहना है कि कुतुबमीनार में ध्रुव और मेरुध्वज के परिसर के अंदर कई देवी-देवताओं के चिन्ह मिले हैं, जो मंदिर के रूप में स्थापित थे जैसे यहां भगवान विष्णु, ऋषभदेव, भगवान गणेश और सूर्य देवता के मंदिर मौजूद थे। इतना ही नहीं यहां माता गौरी की भी विशाल मंदिर थी। यहां कुतुबमीनार में जैन तीर्थंकरों के साथ-साथ बहुत बड़े और ऊंचे हिंदू तथा जैन मंदिरों के भी अवशेष मिले हैं। कुतुब मीनार विश्व के धरोहर में से एक है । 


निष्कर्ष 

हम उम्मीद करते हैं कि आपको कुतुब मीनार का इतिहास से संबंधित सभी जानकारियों जैसे Qutub Minar kab banaa tha, Qutub Minar kisne banvaya tha और कुतुब मीनार की खासियत के बारे में पता चल गया होगा। ऐसे ही ऐतिहासिक इमारतों से संबंधित जानकारी के लिए हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं ताकि हम आपके लिए ऐतिहासिक घटनाओं, तथ्यों और इमारतों के अलावा अन्य जानकारियों के साथ एक से बढ़कर एक आर्टिकल आपके लिए ला सकें।

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